हर साल नारे लगते है, खौलती नई
जवानी है,
इतिहास में हम जीते, और कहते आज जशन-ए-आज़ादी है|
इतिहास में हम जीते, और कहते आज जशन-ए-आज़ादी है|
चेहरे पे नक़ाब है, कड़वी हर
ज़ुबानी है,
होंठो पे नकली हंसी, आज जशन-ए-आज़ादी है|
होंठो पे नकली हंसी, आज जशन-ए-आज़ादी है|
अपना करे तो नादानी, बगल का करे
तो शैतानी है,
हर बात पे खिंचा तानी, आज जशन-ए-आज़ादी है|
हर बात पे खिंचा तानी, आज जशन-ए-आज़ादी है|
जो तेरा है वह मेरा है, यही सच्ची
कहानी है,
जैसे सब कब्र तक जायेगा, आज जशन-ए-आज़ादी है|
जैसे सब कब्र तक जायेगा, आज जशन-ए-आज़ादी है|
हो बाबरी या मंदिर, सब चाहें
अपनी निशानी है,
भेद भाव के इस पंडाल पे, आज जशन-ए-आज़ादी है|
भेद भाव के इस पंडाल पे, आज जशन-ए-आज़ादी है|
नए अंदाज़ में हर कही, बात वही
पुरानी है,
कर भला न हो भला, आज जशन-ए-आज़ादी है|
कर भला न हो भला, आज जशन-ए-आज़ादी है|
कही एक नया सूरज, कहीं एक
रवानी है,
कहते है नया दिन निकला, क्या यही जशन-ए-आज़ादी है?
कहते है नया दिन निकला, क्या यही जशन-ए-आज़ादी है?
- जय भट्ट
१५-०८-२०१५
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