Saturday, August 15, 2015

आज जश्न-ए-आज़ादी है



हर साल नारे लगते है, खौलती नई जवानी है,
इतिहास में हम जीते, और कहते आज जशन-ए-आज़ादी है|

चेहरे पे नक़ाब है, कड़वी हर ज़ुबानी है,
होंठो पे नकली हंसी, आज जशन-ए-आज़ादी है|

अपना करे तो नादानी, बगल का करे तो शैतानी है,
हर बात पे खिंचा तानी, आज जशन-ए-आज़ादी है|

जो तेरा है वह मेरा है, यही सच्ची कहानी है,
जैसे सब कब्र तक जायेगा, आज जशन-ए-आज़ादी है|

हो बाबरी या मंदिर, सब चाहें अपनी निशानी है,
भेद भाव के इस पंडाल पे, आज जशन-ए-आज़ादी है|

नए अंदाज़ में हर कही, बात वही पुरानी है,
कर भला न हो भला,  आज जशन-ए-आज़ादी है|

कही एक नया सूरज, कहीं एक रवानी है,
कहते है नया दिन निकला, क्या यही जशन-ए-आज़ादी है?

- जय भट्ट
१५-०८-२०१५






No comments: